Republic day speech in hindi
Republic day speech in hindi : नमस्कार मित्रो, आदरणीय अतिथिगण, और मेरे प्यारे देशवासियों,
आज का दिन हमारे देश के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। 26 जनवरी, वह पावन दिन जब हमारे भारत देश ने लोकतंत्र के स्वर्णिम सिंहासन पर विराजमान होकर एक गणतंत्र राष्ट्र बना। यह हमें गौरव, हर्ष और राष्ट्रप्रेम से भरने का महान अवसर है।
75 वर्ष पहले, इसी पावन धरती पर, हमारे सपने साकार हुए थे। हमारे संविधान का स्याही शब्दों में सिर्फ लिपिबद्ध नहीं हुआ था, यह स्वतंत्रता सेनानियों के रक्त से सराब, माताओं के आंसुओं से भीगा और लाखों नर-नारियों की अटूट आशा का दस्तावेज था। एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना जहां समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व केवल शब्द न हों, बल्कि हमारे अस्तित्व के आधार स्तंभ हों।
हम, इस विरासत के उत्तराधिकारी, उन महान हस्तियों के कंधों पर खड़े हैं। महात्मा गांधी, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के हथियार से स्वतंत्रता का संग्राम जीता। रानी लक्ष्मीबाई, जिनका शौर्य युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा। भगत सिंह, जिनकी क्रांतिकारी चेतना ने क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित की। और अनगिनत अन्य, जाने-अनजाने, जिन्होंने नए भारत के जन्म के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।
लेकिन हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है। चुनौतियों के भूत आज भी हवा में हैं। असमानता अभी भी असंतोष पैदा करती है। भ्रष्टाचार, हमारे द्वारा निर्मित नींव को कमजोर करने का प्रयास करता है। ये सिर्फ मुद्दे नहीं हैं, ये हमें जगाने, जागृत करने की पुकार हैं।
इस गणतंत्र दिवस पर, आइए अपने मतभेदों से ऊपर उठें। हमारी विविधता को विभाजन का हथियार न बनने दें, बल्कि राष्ट्रत्व के महाकाव्य में ताकत का तार बनने दें। जहां हर स्वर, हर नोट एकजुट होकर राष्ट्रगान गाये। आइए हम वह बदलाव बनें जो हम देखना चाहते हैं। आइए हम एक जीवंत लोकतंत्र के स्तंभ बनें, जहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे, जहां असहमति अपराध नहीं, अधिकार है, और जहां प्रगति अनवरत, अविराम गति से आगे बढ़े।
आइए हम सिर्फ सीमाओं के अंदर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में शांति के दूत बनें। हमारे हाथ, संघर्ष की मुट्ठियों से मुक्त होकर, समझ और भाईचारे के सेतु बनें। आइए हम अपने ग्रह के रक्षक बनें, उस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षक बनें जो हमें जीवित रखता है।
यही हमारे गणतंत्र दिवस का असली अर्थ है। यह सिर्फ सैनिकों के जुलूसों और लहराते झंडों का तमाशा नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता, समानता और न्याय की मशाल को पहले से भी अधिक चमकदार बनाए रखने का पवित्र संकल्प है। यह एक कर्म का आह्वान है, हर एक हमसे यह आग्रह करता है कि हम अवसर का लाभ उठाएं और वह बदलाव बनें जिसकी हम लालसा रखते हैं।
तो आइए इस गणतंत्र दिवस को हम सिर्फ जुलूसों और उल्लास के साथ ही नहीं, बल्कि नए सिरे से प्रतिबद्धता, अडिग संकल्प और अटूट विश्वास के साथ मनाएं कि **हम सब साथ मिलकर एक मजबूत, अधिक न्यायपूर्ण और अधिक समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।**
जय हिंद!
यह सिर्फ एक नमूना भाषण है। आप इसे अपने विशिष्ट दर्शकों के अनुरूप बना सकते हैं और उन विषयों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो आपके लिए प्रासंगिक हैं। इसे